مغزل
محفلین
نظم
’’سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے ‘‘
(اردو: نستعلیق )
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
دیکھنا ہے زور کتنا بازوئے قاتل میں ہے
کیوں نہیں کرتا ہے کوئی دوسرا کچھ بات چیت
دیکھتا ہوں میں جسے وہ چپ تیری محفل میں ہے
اے شہید ملک و ملت میں ترے اوپر نثار
اب تیری ہمت کا چرچہ غیر کی محفل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
وقت آنے دے بتا دیں گے تجھے اے آسمان
ہم ابھی سے کیا بتائیں کیا ہمارے دل میں ہے
کھینج کر لائی ہے سب کو قتل ہونے کی امید
عاشقوں کا آج جمگھٹ کوچہِ قاتل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
ہے لئے ہتھیار دشمن تاک میں بیٹھا ادھر
اور ہم تیار ہیں سینہ لئے اپنا ادھر
خون سے کھیلیں گے ہولی گر وطن مشکل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
ہاتھ جن میں ہو جنوں کٹتے نہیں تلوار سے
سر جو اٹھ جاتے ہیں وہ جھکتے نہیں للکا ر سے
اور بھڑکے گا جو شعلہ سا ہمارے دل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
ہم جو گھر سے نکلے ہی تھے باندھ کے سر پہ کفن
جاں ہتھیلی پر لئے، لو لے چلے ہیں یہ قدم
زندگی تو اپنی مہماں موت کی محفل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
یوں کھڑا مقتل میں قاتل کہہ رہا ہے بار بار
کیا تمنا ئے شہادت بھی کِسی کے دِل میں ہے
دل میں طوفانوں کی ٹولی اور نسوں میں انقلاب
ہوش دشمن کے اڑا دیں گے ہمیں روکو نہ آج
دور رہ پائے جو ہم سے دم کہاں منزل میں ہے
جسم بھی کیاجسم ہے جس میں نہ ہو خونِ جنوں
طوفانوں سے کیا لڑے جو کشتیِ ساحل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
دیکھنا ہے زور کتنا بازوئے قاتل میں ہے
(دیوناگری )
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
(ऐ वतन,) करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्क़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.
ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
ज़िस्म भी क्या ज़िस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
بسمل عظیم آبادی ،ہندوستان
بشکریہ : وکیپیڈیا انگریزی، تصحیح و پیشکش: م۔م۔مغل
’’سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے ‘‘
(اردو: نستعلیق )
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
دیکھنا ہے زور کتنا بازوئے قاتل میں ہے
کیوں نہیں کرتا ہے کوئی دوسرا کچھ بات چیت
دیکھتا ہوں میں جسے وہ چپ تیری محفل میں ہے
اے شہید ملک و ملت میں ترے اوپر نثار
اب تیری ہمت کا چرچہ غیر کی محفل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
وقت آنے دے بتا دیں گے تجھے اے آسمان
ہم ابھی سے کیا بتائیں کیا ہمارے دل میں ہے
کھینج کر لائی ہے سب کو قتل ہونے کی امید
عاشقوں کا آج جمگھٹ کوچہِ قاتل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
ہے لئے ہتھیار دشمن تاک میں بیٹھا ادھر
اور ہم تیار ہیں سینہ لئے اپنا ادھر
خون سے کھیلیں گے ہولی گر وطن مشکل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
ہاتھ جن میں ہو جنوں کٹتے نہیں تلوار سے
سر جو اٹھ جاتے ہیں وہ جھکتے نہیں للکا ر سے
اور بھڑکے گا جو شعلہ سا ہمارے دل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
ہم جو گھر سے نکلے ہی تھے باندھ کے سر پہ کفن
جاں ہتھیلی پر لئے، لو لے چلے ہیں یہ قدم
زندگی تو اپنی مہماں موت کی محفل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
یوں کھڑا مقتل میں قاتل کہہ رہا ہے بار بار
کیا تمنا ئے شہادت بھی کِسی کے دِل میں ہے
دل میں طوفانوں کی ٹولی اور نسوں میں انقلاب
ہوش دشمن کے اڑا دیں گے ہمیں روکو نہ آج
دور رہ پائے جو ہم سے دم کہاں منزل میں ہے
جسم بھی کیاجسم ہے جس میں نہ ہو خونِ جنوں
طوفانوں سے کیا لڑے جو کشتیِ ساحل میں ہے
سرفروشی کی تمنا اب ہمارے دل میں ہے
دیکھنا ہے زور کتنا بازوئے قاتل میں ہے
(دیوناگری )
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
(ऐ वतन,) करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्क़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.
ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
ज़िस्म भी क्या ज़िस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
بسمل عظیم آبادی ،ہندوستان
بشکریہ : وکیپیڈیا انگریزی، تصحیح و پیشکش: م۔م۔مغل